“यदि हम मंदिर में भगवान को भोग लगाने जा रहे हों और मार्ग में कोई कुत्ता या कोई भी बेज़ुबान जीव भूखा बैठा दिखाई दे, तो हमें उसे भगवान समझकर भोजन कराना चाहिए। क्योंकि प्रभु केवल मंदिर में ही नहीं, समस्त जीवों में विद्यमान हैं। किसी भूखे प्राणी का पेट भरना, वास्तव में सीधे भगवान को भोग लगाने के समान है। सच्ची भक्ति वही है, जिसमें हर जीव में भगवान का रूप दिखाई दे।”

 

— प्रेमानंद जी महाराज (भावार्थ) 🙏